लेखनी प्रतियोगिता -23-Sep-2024 "दिल"

                          "दिल"

धड़कता है यह दिल तेरी खातिर तेरी ही बातें करता है। 
बता करूँ क्या मैं इसका ये दिन-रात तुझी पे मरता है।।

न बहलाने से समझता है ना तकरार से ही मानता है।
यह हर वक़्त बस तेरी ही फ़ुर्क़त में पागल घूमता है।।

कभी सांसों पे वार करता है कभी आंखों को तड़पाता है। 
बड़ा जालिम है ये मेरा होकर मेरी कोई ना बात सुनता है।।

कैसे संभालू इसको कोई तरकीब ना मुझको सुझाता है।
बनी बैठी हूं मैं तो जोगन अब तो ख़ुदा ही कोई राह दिखाता है।।

मधु गुप्ता "अपराजिता"

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2 Comments

Anjali korde

23-Jan-2025 06:10 AM

👌👌

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HARSHADA GOSAVI

24-Nov-2024 10:57 AM

V nice

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